Dear Reader,
Welcome to the June Roundup of Puliyabaazi!
इस महीने हमने चर्चा की अपने समय के कुछ अहम और पेचीदा मुद्दों पर, जैसे लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, तेजी से बदलती इंटरनेट की दुनिया, संकटग्रस्त पक्षियों की पुकार और भारत के लिए सहकारी संघवाद का महत्व। साथ ही हम आपके लिए एक कालजयी कहानी भी लेकर आए! तो ज़रूर पढ़िए और शेयर कीजिए।
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आगे बढ़ने से पहले, आपके लिए है कुछ सरप्राइज़!
📸पुलियाबाज़ी फोटो प्रतियोगिता
पुलियाबाज़ी लेकर आई है एक अनूठी फोटो कांटेस्ट!
विषय: मेरे शहर में (In My City)
पुरस्कार: 3 सिलेक्टेड फोटोज Puliyabaazi की मैगज़ीन में छपेंगी!
अंतिम तारीख: 20 जुलाई, 2025
फोटो कहाँ भेजें: editor.puliyabaazi@gmail.com
ई-मेल में अपना नाम और अपने शहर का नाम ज़रूर लिखें।
🖋️ पुलियाबाज़ी लेखन प्रतियोगिता
आपके मन में कोई साहसी पब्लिक पॉलिसी आइडिया है? हमें भेजिए।
विषय: कोई भी साहसी (bold) पॉलिसी आइडिया
शब्द संख्या: 1200-1500 शब्द
भाषा: हम हिंदी को प्राथमिकता देते हैं लेकिन अंग्रेजी लेखों पर भी विचार कर सकते हैं।
पुरस्कार: सबसे अच्छा लेख पुलियाबाज़ी मैगज़ीन में प्रकाशित होगा + छोटा सा मानधन
AI का उपयोग: स्वीकार्य नहीं
अंतिम तारीख: 20 जुलाई, 2025
लेख कहाँ भेजें: editor.puliyabaazi@gmail.com
अपना लेख MS Word डॉक्यूमेंट या Google Doc के रूप में भेजें।
इंतज़ार रहेगा आपकी अनूठी फोटो और साहसी कल्पनाओं का!
कृपया पूरा एपिसोड/टिप्पणी देखने के लिए शीर्षक पर क्लिक करें।
Untangling the Sedition vs. Freedom of Expression Debate | राजद्रोह बनाम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
क्या सरकार से असहमति जताना लोकतंत्र के लिए ख़तरा है या उसकी ज़रूरत? राजद्रोह और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा रेखा कहाँ होती है?
इस एपिसोड में हमने भारत के राजद्रोह संबंधी क़ानून के राजनीतिक, ऐतिहासिक और क़ानूनी पहलुओं पर चर्चा की। साथ ही यह क़ानून और संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी बात की।
इंटरनेट के अनगिनत चेहरे | Digital Anthropology and Internet Culture ft. Shephali Bhatt
आज इंटरनेट हमारी जिंदगी का सिर्फ़ एक हिस्सा नहीं रहा, यह हमारी आदतों और सोच से लेकर हमारे जीने के तरीके तक को प्रभावित कर रहा है। इस एपिसोड में हमारी बातचीत हुई टेक रिसर्चर और पत्रकार शेफाली भट्ट, जिन्होंने हमें इंटरनेट के कई अच्छे-बुरे पहलुओं से रूबरू करवाया। इंटरनेट की भाषा, सोशल मीडिया की दुनिया, इंफ्लुएंसर मार्केटिंग और बहुत कुछ ज़रूर सुनिए इस दिलचस्प संवाद में!
✏️ मैं, पेंसिल
अगर आपको लिबरल इकॉनोमिक्स पर सिर्फ एक लेख ही पढ़ना हो, तो यह पढ़ें—‘I, Pencil’। लियोनार्ड रीड की यह कालजयी कहानी आपको मुक्त बाज़ार (free-market) और स्वयंभू व्यवस्था (spontaneous order) कैसे काम करते हैं यह समझाएगी, वह भी एक ऐसी कहानी के ज़रिये जिसे आप कभी भूल नहीं सकेंगे! हमें खुशी है कि हम इसे आपके लिए हिंदी में ला पाए।
🕊️ क्या हम सुन रहे हैं पक्षियों की पुकार?
इस पर्यावरण दिवस पर प्रकाशित पीयूष सक्सेरिया का यह लेख ‘स्टेट ऑफ इंडियाज़ बर्ड्स रिपोर्ट 2023’ पर आधारित है। यह लेख न केवल हमारे पक्षियों और पर्यावरण की स्थिति दर्शाता है, बल्कि साथ ही सिटीजन साइंस और सामुदायिक संरक्षण प्रयासों की अहमियत भी समझाता है।
🤝टीम इंडिया बनाने के लिए क्या करना होगा?
भारत के विकास के लिए केंद्र तथा विभिन्न राज्यों के बीच स्पर्धा नहीं, सहयोग होना आवश्यक है। प्रणय ने इस लेख में ‘विकसित भारत @2047’ का महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी राज्यों की एक ‘टीम इंडिया’ कैसे बनाई जाए, इस पर कुछ व्यवहारिक उपाय सुझाएँ हैं।
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