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कार्ल सेगन की कॉसमॉस: अंतरिक्ष से लेकर आध्यात्म की सैर कराती एक किताबी कालीन
अगर आपको कहा जाये की आप जीवनभर सिर्फ़ एक ही किताब पढ़ सकते हो तो आप कौन सी किताब चुनेंगे? अगर मुझसे कोई ये सवाल करे तो मैं बेझिझक हो कर चुनूँगी कार्ल सेगन द्वारा लिखित कॉस्मॉस।
कार्ल सेगन की मैग्नम ओपस कॉसमॉस एक कालातीत यात्रा है। लोग अक्सर इसे विज्ञान या अंतरिक्ष की किताब समझते हैं, पर असल में ये किताब एक रंगबिरंगी कालीन के समान है जो खगोल विज्ञान, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भूविज्ञान, इतिहास, और दर्शन के तानों बानों से बनी है। यह कालीन आपको जादुई जगहों की सैर कराती है, मानवजाति के इतिहास के सबसे प्रतिभाशाली किरदारों से मिलवाती है, और प्रकृति के चमत्कारों के ज़रिये इंसान और ब्रह्मांड के बीच के गहरे संबंध को उजागर करती है।
देखा जाए तो कॉसमॉस का सबसे महत्वपूर्ण विषय है ज्ञान की खोज में मानव जाति का संघर्ष।
मेरा पसंदीदा चैप्टर "द हारमनी ऑफ वर्ल्ड्स" इस विषय की पड़ताल करता है। इस अध्याय में, सेगन हमें प्रसिद्ध खगोलशास्त्री जोहानस केप्लर की कहानी बताते हैं। हम सभी ने आठवीं या नौवीं कक्षा में केप्लर के Laws of Planetary Motion पढ़ें हैं लेकिन शायद ही किसीको ये याद होंगे। पुलियाबाज़ी के हाल ही के एपिसोड छुपा रुस्तम या बोल बच्चन की टर्मिनोलॉजी के हिसाब से केप्लर खगोलशास्त्र का छुपा रुस्तम है।
केप्लर के नियमों को फिसिक्स की क्लास में पढ़ाया तो जाता है, लेकिन भौतिकी की हमारी समझ में वे कितना महत्वपूर्ण कदम थे इस बात की समझ हमें नहीं दी जाती। गुरुत्वाकर्षण को गणितीय रूप में डीराइव करने के लिए न्यूटन ने केप्लर के तीसरे नियम का उपयोग किया था। (more details here)
केप्लर के नियमों ने उस समय प्रचलित कई मान्यताओं का खंडन किया। और सबसे दिलचस्प बात ये है की इन नियमों तक पहुँचने के लिए केप्लर को खुद भी अपनी मान्यतों से जूझना पड़ा।
ये कहानी काफ़ी दिलचस्प है, इस लिए ज़रा विस्तार से बता रही हूँ।
केप्लर को बचपन में धार्मिक शिक्षा मिली थी। उस समय धार्मिक शिक्षा के साथ गणित और ज्योतिषशात्र सिखाया जाता था। ईश्वर की रचना को समझने की जिज्ञासा ने ही केप्लर को ब्रह्मांड का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया था, लेकिन गणित और ज्योमेट्री पढ़ते पढ़ते उनके दिमाग में ईश्वर की परिकल्पना बदलने लगी।
Sagan writes, “But God became for him more than a divine wrath craving propitiation. Kepler’s God was the creative power of the Cosmos. The boy’s curiosity conquered his fear. He dared to contemplate the Mind of God… “
…”In the geometry of Euclid he thought he glimpsed an image of perfection and cosmic glory. Kepler was later to write: “Geometry existed before the Creation. It is co-eternal with the mind of God.. Geometry provided God with a model for the Creation.. Geometry is God Himself.”
शुरुआत में केप्लर और उस समय के अन्य खगोलविदों ने ग्रहों की कक्षाओं को गोलाकार माना था क्योंकि स्फीयर और गोलाकार को एक आदर्श आकार माना जाता था, जो ईश्वर की रचना के योग्य था। तब तक कोपरनिकस ने ये बता दिया था कि पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य के इर्द गिर्द चक्कर लगाते हैं, पर केप्लर ग्रहों के इस चलन को एक ईक्वेशन में फिट करने की कोशिश कर रहे थें, जो उनसे पहले शायद ही किसीने किया था।
इसके लिए पहले तो उन्हें ग्रहों के अवलोकन पर आधारित डेटा चाहिए था। उस समय ग्रहों के सबसे सटीक ऑब्ज़र्वेशन खगोलशास्त्री टाइको ब्राहे के पास थे। केप्लेर को आशा थी कि इस डेटा से वो सही समीकरण खोज पाएंगे, इस आस में वो ब्राहे के साथ काम करने लगे। लेकिन टाइको ब्राहे भी कुछ अलग मिज़ाज का इंसान था जिसकी वजह से केप्लर और ब्राहे की ज़्यादा बनती नहीं थी। एक छोटी बीमारी के बाद जब ब्राहे अपने आप को मृत्युशैया पर पाता है तब उसे एहसास होता है की शायद उसके जीवनभर का काम व्यर्थ हो जायेगा। इस एहसास के बाद वो केप्लर को अपना डेटा देता है।
ग्रहों के अवलोकन पर आधारित डेटा को केप्लर ने अपने मॉडल में फिट करने की कोशिश की, लेकिन उसने पाया कि मंगल ग्रह का चलन गोलाकार कक्षा में सही तरह से फिट नहीं बैठता। ऑब्ज़र्वेशन और मॉडल में आठ मिनट का अंतर था (१ डिग्री = ६० मिनट)। अब उनके सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया था। किस पर भरोसा करें? पृथ्वी से लिए गए उस समय के सबसे सटीक अवलोकन पर या कि अपने उस मॉडल पर जिस पर उन्होंने बरसों काम किया था।
केप्लर लिखते हैं:
“.. If I had believed that we could ignore these eight minutes, I would have patched up my hypothesis. But, since it was not permissible to ignore, those eight minutes pointed the road to a complete reformation in astronomy.”
-Johannes Kepler
केप्लर ने अपना मॉडल बाजु पर रख दिया और फिर से काम पर लग गयें। आख़िरकार उन्होंने पाया की एक दीर्घवृत्ताकार याने एलिप्टिकल ऑर्बिट ग्रहों की गति को पूरी तरह से दर्शाती है। Empirical evidence की सटीकता के प्रति उनकी वफ़ादारी से खगोल भौतिकी का मार्ग प्रशस्त हुआ। सेगन इस बात को बड़ी खूबसूरती से कहते हैं:
“It was the first non-mystical explanation of motions in the heavens; it made Earth a province of the Cosmos. Kepler was the last scientific astrologer and the first astrophysicist. ”
-Carl Sagan
इस किताब में ऐसी और भी अद्भुत कहानियाँ मौजूद हैं जो हमें महान वैज्ञानिकों की उपलब्धियों के परे उनके वैचारिक सफ़र का ब्यौरा देती हैं। इस लेख में नीचे जो कॉमिक है उसमें मैंने इरेटोस्थेनिस ने कैसे 300 BC में पृथ्वी की परिधि (circumference) नापी थी इसकी एक झाँकी दी है। (read here for a more detailed explanation)
इरेटोस्थेनिस की कहानी सुनकर मुझे लगा कि काश हमें स्कूल में भी ये सिखाते। भारत में विज्ञान सीखने के बारे में तो बहुत ज़ोर दिया जाता है लेकिन साथ ही विज्ञान सीखे हुए लोगों में भी अक्सर वैज्ञानिक सोच का अभाव महसूस होता है। ये किताब वैज्ञानिक दृष्टिकोण को केंद्र में रखती है और इसी लिए विज्ञान में दिलचस्पी लेने वाले हर इंसान के लिए ये मस्ट-रीड किताब है।
कॉसमॉस में अंतरिक्ष से लेकर आध्यात्म, सब मिलेगा। यह किताब ये भी एहसास दिलाती है कि ब्रह्मांड और उसकी भव्यता के सामने हम इंसानों का अस्तित्व कितना नगण्य है। कुछ लोग इस दृष्टिकोण से विचलित हो सकते हैं, पर मुझे इससे काफ़ी सुकून मिलता है।
इस किताब से मुझे आसमान में सितारों की और देखने के लिए नया उत्साह और दुनिया को कुतूहलता से देखने का एक चश्मा मिला। आशा है आप भी इस किताबी कालीन पर बैठकर ब्रह्मांड के सफ़र पर निकलने की कोशिश करेंगे!
जाते जाते इसी किताब से प्रेरित एक इलस्ट्रेशन शेयर कर रही हूँ।

—ख्याति
P.S: हाल ही में इस किताब पर आधारित नेटफ्लिक्स सीरीज़ भी आयी है पर मुझे इसकी ओरिजिनल टीवी सीरीज़ जिसे कार्ल सेगन खुद होस्ट करते है ज़्यादा पसंद है। बिंज वॉच करने लायक है। (लिंक)
You can find my comics at https://thescribblebee.com/
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