शायद बांग्ला भाषा अलग होने के कारण टैगोर को कम लोग जान पाए हैं ।और यही विविधता के कारण दक्षिण प्रांतों के बारे खास कर उतर भारत के लोग कम पहचानते हैं । भारत ही एक मात्र देश है जहां इतने सारे भाषाओं का विकास है और प्रचलित भी है । आपने ठीक ही कहा कि राष्ट्रवाद में यह एक चुनौती रहा होगा ।
हिंदी और दूसरे भाषाओं के अनुवाद का सिलसिला आरम्भ होने से एक बदलाव जरूर होगा ।कहीं हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की चुनौती एक रूकावट तो नहीं है ?
शायद बांग्ला भाषा अलग होने के कारण टैगोर को कम लोग जान पाए हैं ।और यही विविधता के कारण दक्षिण प्रांतों के बारे खास कर उतर भारत के लोग कम पहचानते हैं । भारत ही एक मात्र देश है जहां इतने सारे भाषाओं का विकास है और प्रचलित भी है । आपने ठीक ही कहा कि राष्ट्रवाद में यह एक चुनौती रहा होगा ।
हिंदी और दूसरे भाषाओं के अनुवाद का सिलसिला आरम्भ होने से एक बदलाव जरूर होगा ।कहीं हिंदी को राष्ट्र भाषा बनाने की चुनौती एक रूकावट तो नहीं है ?
जनम दिन मुबारक,कवि गुरु रबीन्द्रनाथ ठाकुर के साथ
इति ।
Please suggest good biography of Tagore.