चीन की समझ उतनी नहीं है अभी। वैसे अभी दुनिया में बिकने वाले robots में आधे चीन में बिकते हैं पर वहाँ का मार्केट इतना आसान नहीं बाहरी लोगों के लिए। जब अमेरिका में पैर जम जायें तब रुख़ करेंगे चीन का।
Apr 11Liked by Saurabh Chandra, Puliyabaazi Hindi Podcast
बहुत मज़ा आया इस अंक में. अंत में सौरभ ने जो खाने के बारे में कहा, वह बहुत relevant लगा. मैं बोस्टन Suburbs में रहता हूँ और अभी भारतीय रेस्टोरेंट से खाना लेके आया. मटन रोल, वेज काटी रोल, मटन अंडा रोल सबका दाम एक ही था. कलकत्ता में इनके दाम में करीब दुगुना तक का फरक हो सकता है. शाकाहारी दोस्तों का इस बारे में काफी बार complaint रहता है.
पुलियाबाज़ी सबस्टैक बहुत ज़रूरी था. अब आप लोगों से कमेंट के माध्यम से बात होते रहेगी. ट्विटर में वह personalization नहीं होता था. पर मेरी एक शिकायत है. आधे से ज़्यादा ब्लॉग अंग्रेजी में क्यों है? मेरा मानना है की पुलियाबाज़ी के श्रोता एवं पाठक सिर्फ content के लिए नहीं बल्कि अपने ज़िन्दगी से वह खोयी हुयी हिंदी को पाने भी आते है.
आपकी आख़िरी लाइन सुन कर बहुत अच्छा लगा। इसलिए हम टिपण्णी सेक्शन में हिंदी लेख लिखने की कोशिश कर रहे हैं। ईमेल में मुख्यतः अंग्रेज़ी इस लिए है क्योंकि कई लोग हिंदी सुनना चाहते हैं पर पढ़ नहीं पाते। आपकी कमेंट दिमाग में रहेगी। हिंदी में और लिखने की कोशिश जारी रहेगी।
यह जानकर आश्चर्य हुआ की अमेरिका में अभी भी इंडियन जीडीपी के बराबर की तो मैन्युफैक्चरिंग है ही।
सौरभ ने ये बताया कि कैसे इंडियन ट्रेड एक्सपो में रोबोटिक्स में सभी उनके स्टॉल पर भीड़ लगाते है। जबकि अमेरिका में वो खुद ही भीड़ का हिस्सा थे। एक प्रश्न है, कि चीन में रोबोटिक्स का क्या हाल है मैटेरियल हैंडलिंग में? थोड़ा चीन से भी तुलना करके बताएं।
सौरभ का यह कहना की में तो ये देखता हूं की जो अमेरिका में 200 साल पहले कर रहे थे क्या हम अभी वह भी कर पा रहे हैं की नही। मुझे बहुत relevant लगा।
मुझे पुरानी मूवीज देखना पसंद है। में भी जब वेस्टर्न genre ki movies देखता हूं। या 1940s se 70s ki foreign movies देखता हूं/था। तो मुझे कुछ कुछ झलक आज के भारत के छोटे छोटे towns ki दिखती थी। बल्कि उनकी 100 साल पुरानी सिटीज और towns bhi hamare Aaj ke towns se kahi jyada organized dikhte hain।
सफरनामा का पिछला एपिसोड ख्याति जी का भी काफी अच्छा था। इसे एक अलग से नई पॉडकास्ट बनाने के बारे में आप लोगों को सोचना चाहिए। इसमें आप नए मेहमानों को इनवाइट कर सकते हैं।
चीन की समझ उतनी नहीं है अभी। वैसे अभी दुनिया में बिकने वाले robots में आधे चीन में बिकते हैं पर वहाँ का मार्केट इतना आसान नहीं बाहरी लोगों के लिए। जब अमेरिका में पैर जम जायें तब रुख़ करेंगे चीन का।
बहुत मज़ा आया इस अंक में. अंत में सौरभ ने जो खाने के बारे में कहा, वह बहुत relevant लगा. मैं बोस्टन Suburbs में रहता हूँ और अभी भारतीय रेस्टोरेंट से खाना लेके आया. मटन रोल, वेज काटी रोल, मटन अंडा रोल सबका दाम एक ही था. कलकत्ता में इनके दाम में करीब दुगुना तक का फरक हो सकता है. शाकाहारी दोस्तों का इस बारे में काफी बार complaint रहता है.
पुलियाबाज़ी सबस्टैक बहुत ज़रूरी था. अब आप लोगों से कमेंट के माध्यम से बात होते रहेगी. ट्विटर में वह personalization नहीं होता था. पर मेरी एक शिकायत है. आधे से ज़्यादा ब्लॉग अंग्रेजी में क्यों है? मेरा मानना है की पुलियाबाज़ी के श्रोता एवं पाठक सिर्फ content के लिए नहीं बल्कि अपने ज़िन्दगी से वह खोयी हुयी हिंदी को पाने भी आते है.
आपकी आख़िरी लाइन सुन कर बहुत अच्छा लगा। इसलिए हम टिपण्णी सेक्शन में हिंदी लेख लिखने की कोशिश कर रहे हैं। ईमेल में मुख्यतः अंग्रेज़ी इस लिए है क्योंकि कई लोग हिंदी सुनना चाहते हैं पर पढ़ नहीं पाते। आपकी कमेंट दिमाग में रहेगी। हिंदी में और लिखने की कोशिश जारी रहेगी।
So many insights by सौरभ।
यह जानकर आश्चर्य हुआ की अमेरिका में अभी भी इंडियन जीडीपी के बराबर की तो मैन्युफैक्चरिंग है ही।
सौरभ ने ये बताया कि कैसे इंडियन ट्रेड एक्सपो में रोबोटिक्स में सभी उनके स्टॉल पर भीड़ लगाते है। जबकि अमेरिका में वो खुद ही भीड़ का हिस्सा थे। एक प्रश्न है, कि चीन में रोबोटिक्स का क्या हाल है मैटेरियल हैंडलिंग में? थोड़ा चीन से भी तुलना करके बताएं।
सौरभ का यह कहना की में तो ये देखता हूं की जो अमेरिका में 200 साल पहले कर रहे थे क्या हम अभी वह भी कर पा रहे हैं की नही। मुझे बहुत relevant लगा।
मुझे पुरानी मूवीज देखना पसंद है। में भी जब वेस्टर्न genre ki movies देखता हूं। या 1940s se 70s ki foreign movies देखता हूं/था। तो मुझे कुछ कुछ झलक आज के भारत के छोटे छोटे towns ki दिखती थी। बल्कि उनकी 100 साल पुरानी सिटीज और towns bhi hamare Aaj ke towns se kahi jyada organized dikhte hain।
सफरनामा का पिछला एपिसोड ख्याति जी का भी काफी अच्छा था। इसे एक अलग से नई पॉडकास्ट बनाने के बारे में आप लोगों को सोचना चाहिए। इसमें आप नए मेहमानों को इनवाइट कर सकते हैं।
धन्यवाद!