समाज, सरकार, और बाज़ार की जुगलबंदी। Society, States, and Markets ft. Rohini Nilekani
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हम अक़्सर कहते है कि समाज, सरकार, और बाज़ार के बीच तालमेल बढ़ाने की ज़रूरत है। इस संतुलन को कैसे समझा जाए? समाज को किस तरह से बदलाव का भागीदार बनाया जाए? आप और हम क्या भूमिका अदा कर सकते हैं? इन्हीं कुछ सवालों पर चर्चा लेखिका और philanthropist रोहिणी निलेकणी के साथ। उनकी नई किताब
समाज, सरकार, और बाज़ार की जुगलबंदी। Society, States, and Markets ft. Rohini Nilekani
समाज, सरकार, और बाज़ार की जुगलबंदी। Society…
समाज, सरकार, और बाज़ार की जुगलबंदी। Society, States, and Markets ft. Rohini Nilekani
हम अक़्सर कहते है कि समाज, सरकार, और बाज़ार के बीच तालमेल बढ़ाने की ज़रूरत है। इस संतुलन को कैसे समझा जाए? समाज को किस तरह से बदलाव का भागीदार बनाया जाए? आप और हम क्या भूमिका अदा कर सकते हैं? इन्हीं कुछ सवालों पर चर्चा लेखिका और philanthropist रोहिणी निलेकणी के साथ। उनकी नई किताब