भारत में ९० के दशक में चाचा चौधरी से लेकर नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव जैसे कई स्वदेशी कॉमिक पात्र घरेलु नाम रह चुके है। पर क्या कॉमिक्स और एनिमेशन सिर्फ बच्चों के पढ़ने या देखने की चीज़ है या बड़े भी इसका लुत्फ़ उठा सकते है?
कॉमिक्स और एनिमेशन ख़ालिस देसी अंदाज़ में।…
भारत में ९० के दशक में चाचा चौधरी से लेकर नागराज और सुपर कमांडो ध्रुव जैसे कई स्वदेशी कॉमिक पात्र घरेलु नाम रह चुके है। पर क्या कॉमिक्स और एनिमेशन सिर्फ बच्चों के पढ़ने या देखने की चीज़ है या बड़े भी इसका लुत्फ़ उठा सकते है?