A Pale Blue Dot: ब्रह्मांड में हमारा इकलौता घर
Remembering Carl Sagan’s Message to Humanity
दुनिया में शायद ही कोई ऐसा विज्ञानप्रेमी होगा जिसने कार्ल सेगन के बारे में पढ़ा या सुना न हो। अपनी टेलिविज़न सीरिज़ कॉसमॉस: अ पर्सनल वोयाज के माध्यम से घर-घर तक पहुँचे सेगन, बीसवीं सदी के एक प्रमुख खगोलशास्त्री और साइंस कम्युनिकेटर थे। परग्रहों पर जीवन की खोज करने और विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में उन्होंने असाधारण योगदान दिया। सेगन ने विज्ञान को फिलोसोफ़ी से जोड़कर कुछ इस अंदाज में पेश किया कि उन्हें पढ़ने और सुननेवालों के सिर से साइंस का जादू फिर कभी उतर ही न पाया। कार्ल का जन्म 9 नवंबर 1934 को न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में हुआ था। आनेवाले 9 नवंबर को उनकी 91वीं जयंती है तो क्यों न इस मौके पर उनके काम और योगदान को समझने की कोशिश की जाए?
सन 1972 और 1973 में जब NASA ने अंतरिक्ष में जीवन की खोज के लिए Pioneer 10 और 11 यान भेजे तब सेगन और उनके साथियों ने इन यानों पर एक खास चित्र लगाया जिसे Pioneer Plaque कहते हैं। इसका मकसद यह था कि अगर ये यान किसी एलियन संस्कृति तक पहुँच पाते हैं तो उन्हें इंसान और धरती के बारे में जानकारी मिल सके। हम कह सकते हैं कि यह इंसानों की ओर से एलियन्स को भेजा गया पहला “हैलो” था! इस प्लाक पर एक पुरुष और एक महिला के चित्र सहित सौर मंडल का नक्शा बनाकर यह बताने की कोशिश की गई थी कि हम कौन हैं और कहाँ से आए हैं।
लेकिन यह तो बस शुरुआत थी। सेगन जानते थे कि अंतरिक्ष बहुत बड़ा है और इसके निवासियों से संवाद स्थापित करने के लिए एक साधारण प्लाक शायद ही काफ़ी होगा। इसलिए, जब अगला बड़ा मिशन आया, तो उन्होंने इस संदेश को और भी ज़्यादा व्यापक बनाने का फ़ैसला किया।

टाइम कैप्सूल
1977 में, NASA ने दो और ज़्यादा एडवांस्ड अंतरिक्ष यान, वॉयेजर 1 और वॉयेजर 2 भेजे। इनका काम गुरु और शनि जैसे सौर मंडल के बाहरी ग्रहों का अध्ययन करना था। लेकिन कार्ल सेगन ने इन यानों को एक ऐतिहासिक आयाम दिया। उन्होंने इन्हें पृथ्वी के दूत बना दिया!
हालाँकि इस मिशन का शुरुआती मकसद सिर्फ़ सौर मंडल के ग्रहों का अध्ययन करना था, सेगन जानते थे कि एक ये यान दिन हमारे सौर मंडल को पार करके इंटरस्टेलार स्पेस में चले जाएँगे, शायद अरबों सालों तक भटकते रहेंगे। इस दौरान अगर कभी कोई बुद्धिमान सभ्यता इनसे टकराई, तो उसे पता चलना चाहिए कि पृथ्वी पर जीवन कैसा है।
यही सोचकर सेगन और उनकी टीम ने मिलकर एक अद्भुत कलाकृति तैयार की, जिसे गोल्डन रिकॉर्ड कहा जाता है। ये सोने की परत चढ़ाए हुए दो तांबे के फ़ोनोग्राफ़ रिकॉर्ड हैं, जिन्हें इन दो यानों पर ‘टाइम कैप्सूल’ की तरह रखा गया है। यह रिकॉर्ड मानो पृथ्वी पर मौजूद अलग-अलग तरह के जीवों और संस्कृतियों का एक विशाल संग्रह है। इसमें 115 तस्वीरें हैं, जिनमें विज्ञान के सूत्र, डीएनए की संरचना और विभिन्न जीवों की आकृतियों से लेकर धरती पर अलग-अलग जगहों के नज़ारे और रोज़मर्रा के काम करते हुए इंसानों के चित्र हैं। इसमें समुद्र की लहरें, हवा, गड़गड़ाहट, पक्षियों का चहचहाना और व्हेल की आवाज़ें तो हैं ही, साथ ही दुनिया भर की संस्कृतियों और अलग-अलग युगों का संगीत भी है। इसी में भारत की विख्यात विदुषी केसरबाई केरकर द्वारा राग भैरवी में गाया गया “जात कहाँ हो” गीत भी शामिल है। सबसे खास बात यह है कि इस रिकॉर्ड में पृथ्वी के लोगों द्वारा 55 अलग-अलग भाषाओं में बोले गए अभिवादन संदेश हैं।
इसमें अमेरिका के तत्कालीन अध्यक्ष जिमी कार्टर का एक संदेश कुछ यूँ है:
यह तोहफ़ा सुदूर बसी एक छोटी सी दुनिया की ओर से है। इसमें हमारी आवाज़ें, हमारा विज्ञान, हमारी तस्वीरें, हमारा संगीत, हमारे विचार और हमारी भावनाएँ हैं। हम कोशिश कर रहे हैं अपने समय में जीवित बचे रहने की, ताकि आपके समय में जी सकें। हमें उम्मीद है कि एक दिन, जब हम अपनी सारी मुश्किलें हल कर लेंगे, हम भी अंतरिक्ष की सभ्यताओं का हिस्सा बन पाएँगे। यह रिकॉर्ड हमारी उम्मीद, हमारे इरादों का प्रतीक है और इस असीम और अद्भुत ब्रह्मांड के लिए हमारी दोस्ती का पैगाम।
पेल ब्लू डॉट
वॉयेजर 1 ने अपना प्राथमिक काम पूरा कर लिया और तेज़ी से सौर मंडल के बाहर बढ़ता गया। साल 1990 तक, यह इतना दूर जा चुका था कि अब इसके कैमरे को हमेशा के लिए बंद करना ज़रूरी था ताकि बाक़ी सिस्टम्स के लिए बिजली बचाई जा सके।
इससे ठीक पहले कार्ल सेगन ने NASA से एक भावनात्मक अपील की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कैमरे को एक आख़िरी बार पीछे पृथ्वी की ओर मोड़ा जाए और एक तस्वीर ली जाए। इस तस्वीर का शायद कोई वैज्ञानिक मूल्य नहीं था, लेकिन इसका दार्शनिक मूल्य बेशकीमती था और सेगन यह अच्छी तरह जानते थे। वे जानते थे कि यह तस्वीर मानवता को एक बड़ा सबक सिखाएगी।
और फिर, 14 फरवरी, 1990 को, वॉयेजर 1 ने वह ऐतिहासिक तस्वीर ली। उस समय, यह यान पृथ्वी से लगभग 600 करोड़ किलोमीटर की रिकॉर्ड दूरी पर था। इस तस्वीर में हमारी पूरी पृथ्वी, जिस पर आज सात अरब से ज़्यादा लोग रहते हैं, सूरज की एक किरण में धुल के एक धुँधले, नीले कण सी दिखाई देती है! इसी ‘Pale Blue Dot’ का वर्णन कार्ल सेगन कुछ इस तरह करते हैं,
इतनी दूर से देखने पर, शायद पृथ्वी कुछ खास न लगे। लेकिन हमारे लिए यह बहुत ही खास है। उस नन्हे से कण को ज़रा फिर एक बार देखिए। वो यहाँ है। वो हमारा घर है। वो हम हैं। उसी पर, हर इंसान ने अपनी पूरी ज़िंदगी बिताई है, हर उस इंसान ने जिसे तुम प्यार करते हो, जिसे तुम जानते हो, जिसके बारे में तुमने कभी सुना है या जो कभी पैदा हुआ है। हमारा सारा सुख-दुख, हज़ारों धर्म, विचारधाराएँ और सोच, हर शिकारी और किसान, हर हीरो और कायर, हर सर्जक और संहारक, हर राजा और फ़कीर, हर प्रेमी जोड़ा, हर माँ और बाप, हर उम्मीद भरा बच्चा, हर एक खोजी, हर ईमानदार शिक्षक, हर बेईमान नेता, हर “सुपरस्टार”, हर ‘सुप्रीम लीडर’, इतिहास का हर संत और हर गुनहगार... सब वहीं रहे हैं—सूरज की एक किरण में तैरते, धूल के एक मामूली से कण पर।
यह पृथ्वी, इस अनंत ब्रह्मांड के अखाड़े में एक अदना सा मंच है। ज़रा सोचो, झूठी शान और जीत के नशे में लिप्त उन राजाओं और बादशाहों ने कितना खून बहाया, ताकि वो उस नन्हे से धब्बे के एक छोटे से टुकड़े के... पल भर के मालिक बन सकें। ज़रा सोचो, इस कण के एक कोने में रहनेवालों ने, दूसरे कोने में रहनेवाले, बिल्कुल अपने जैसे ही दिखनेवाले लोगों पर कितने ज़ुल्म किए। कितनी जल्दी ये एक-दूसरे को ग़लत समझ लेते हैं, एक-दूसरे को मारने के लिए कितने बेचैन रहते हैं, कितनी गहरी नफ़रत है इनके दिलों में।
हमारी सारी अकड़, सारा घमंड और यह वहम कि इस दुनिया में हमारी कोई खास जगह है... उस धुँधली सी रोशनी में तैरते उस कण को देखकर चूर-चूर हो जाते हैं। हमारा ग्रह इस घने काले अँधेरे में एक अकेला ज़र्रा है। इस गुमनाम वीराने में, दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिखती कि कोई और आकर हमें हमीं से बचाएगा।
अब तक हम जितना जानते हैं उसके अनुसार, पृथ्वी ही एकमात्र ऐसी जगह है जहाँ ज़िंदगी है। आस-पास, कम से कम नज़दीकी भविष्य में, ऐसी कोई दूसरी जगह नहीं है जहाँ जाकर हम बस सकें। भेंट देना, मुमकिन है। बसना, फ़िलहाल नामुमकिन। हमें अच्छा लगे या बुरा, अभी के लिए, पृथ्वी ही हमारा एकमात्र ठिकाना है।
कहा जाता है कि खगोलशास्त्र इंसान को विनम्र बनाता है। इंसानी घमंड की बेवकूफ़ी का हमारी छोटी सी दुनिया की इस तस्वीर से बेहतर सबूत शायद ही कोई होगा। मुझे यह तस्वीर यह एहसास दिलाती है कि हमें एक-दूसरे के साथ और ज़्यादा प्यार और नरमी से पेश आना चाहिए और इस धुँधले, नीले कण को संभालकर रखना चाहिए... क्योंकि यही हमारा इकलौता घर है।
—कार्ल सेगन
आज जब कई तरह के संकटों और संघर्षों से घिरी हमारी पृथ्वी का अस्तित्व ही खतरे में आ चुका है, तो कार्ल सेगन का यह संदेश हमें हमारी ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाता है। उम्मीद है हम अपने झगड़ों और नफ़रतों को भूलकर यह ज़िम्मेदारी निभाएँगे।
—परीक्षित सूर्यवंशी
इस तस्वीर से प्रेरित होकर सेगन ने 1994 में ‘Pale Blue Dot: A Vision of the Human Future in Space’ शीर्षक से एक किताब भी लिखी, जिसमें उन्होंने सौर मंडल का नवीनतम ज्ञान, विश्व में इंसान का स्थान और भविष्य की अपनी दृष्टी साझा की है।
कार्ल सेगन की प्रसिद्ध सीरिज आप यहाँ देख सकते हैं: ‘कॉसमॉस: अ पर्सनल वोयाज’
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अगर आपको कहा जाये की आप जीवनभर सिर्फ़ एक ही किताब पढ़ सकते हो तो आप कौन सी किताब चुनेंगे? अगर मुझसे कोई ये सवाल करे तो मैं बेझिझक हो कर चुनूँगी कार्ल सेगन द्वारा लिखित कॉस्मॉस।
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