Property Rights का भारत में एक पेचीदा इतिहास है | यह एक ऐसा अधिकार है जिसके बिना बाक़ी सारे संवैधानिक अधिकार बेअसर हो जाते है | इसके बावजूद हमने बार-बार प्रॉपर्टी पर अधिकार को बलि पर चढ़ाया है, जिसका खामियाज़ा हम आज तक भुगत रहे है | तो इस बार की पुलियाबाज़ी, प्रॉपर्टी के अधिकार पर | इस विषय को सुलझाने के लिए हमने बात की श्रुति राजगोपालन से, जो स्टेट यूनिवर्सिटी न्यूयॉर्क में अर्थशास्त्र पढ़ाती हैं और क्लासिकल लिबरल इंस्टिट्यूट में फ़ेलो हैं | श्रुति के इस विषय पर पढ़िए विचार प्रगति में | (https://www.thinkpragati.com/tag/the-right-to-property/)
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