SUBMISSION GUIDELINES & STYLE GUIDE
Know how to submit your articles in Puliyabaazi style
पुलियाबाज़ी पर हमारी कोशिश रही है कि हिंदी में ऐसे विषयों पर बात हो, जिन पर आमतौर पर हिंदी में चर्चा नहीं होती। इसी प्रयासकी एक कड़ी है हमारा “टिप्पणी” सेक्शन, जहाँ हम हिंदी में छोटे आर्टिकल्स, बुक रिव्यु या अवलोकन शेयर करते आये हैं। हमें लगा कि क्यों न इसमें हमारे श्रोताओं की टिप्पणियाँ भी शामिल की जाए? आखिर श्रोतागण भी पुलियाबाज़ी परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं।
हमारे श्रोताओं को पुलियाबाज़ी में शामिल करने के लिए हम समय-समय पर विभिन्न स्पर्धाओं का आयोजन भी करते हैं। यहाँ पुलियाबाज़ी सबमिशन तथा स्पर्धाओं के बारे में पूरी जानकारी पा सकते हैं।
Writing & Photo Contests for Puliyabaazi Magazine
Dear all Puliyabaaz, you are cordially invited to submit your entries for the 2nd edition of Puliyabaazi magazine.
Essay Writing Contest:
Topic: Rule of Law (E.g. Indian Judiciary, Constitution of India, Republic)
Length: 1000-2000 words.
Language: We prefer Hindi but can consider English articles.
Prize: Article features in Puliyabaazi Magazine + Small honorarium
AI Use: Not Allowed
Last Date: 15 November 2025
Submit your entries at: editor.puliyabaazi@gmail.com
Send your article as an MS Word document or a Google Doc.
Photo Contest:
Theme: Rule of Law
Last date to submit: 15 November 2025
Prize: Photo features in Puliyabaazi’s first magazine!
Submit your entries at: editor.puliyabaazi@gmail.com
Give a brief and meaningful caption to your photo.
Submission Guidelines for Puliyabaazi Website:
आप अगर puliyabaazi.in के लिए लेख भेजना चाहते हैं, तो कृपया नीचे दी गई गाइडलाइन्स फ़ॉलो करें।
१. लेख किसी भी विषय पर हो सकता है - यह पब्लिक पॉलिसी, बुक रिव्यू, अवलोकन, ट्रैवलॉग या किसी तकनीकी विषय को सरल भाषा में समझाने जैसा हो सकता है। लेख में आपका अपना Point of View या दृश्टिकोण होना ज़रूरी है।
२. लेख 600 से 1000 शब्दों के बीच होना चाहिए। अगर विषय को और गहराई से डिस्कस करना हो तो 2000 शब्द तक भी जा सकते हैं। हिंदी फ़ॉन्ट और फ़ॉर्मेटिंग का उपयोग करें।
३. कृपया स्पष्ट, सरल और बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल करें। अटपटे हिंदी शब्दों के बजाय प्रचलित अंग्रेजी टर्म्स का उपयोग करें। हम शोध पर आधारित, सटीक और अच्छी तरह से लिखे गए लेखों को प्राथमिकता देते हैं। सभी तथ्यों या facts के लिए रेफेरेंस या सोर्स लिंक्स जोड़े।
४. पूरी तरह से AI से लिखे लेख सबमिट न करें। अटपटी या बहुत ज़्यादा औपचारिक हिंदी में लिखे गए लेख हम स्वीकार नहीं करेंगे। लेख आपका अपना होना चाहिए। अगर आपने लिखने के लिए AI का इस्तेमाल किया हो तो टूल का नाम और किस चीज़ के लिए इस्तमाल किया है वो बताएँ।
५. कृपया इमेज क्रेडिट और स्रोत के लिंक्स दें। सुनिश्चित करें कि आपके पास छवियों का उपयोग करने के लिए आवश्यक अधिकार हैं।
६. पुलियाबाज़ी पर प्रकाशित लेखों का कॉपीराइट लेखक के पास ही रहेगा। इसे आप अपने ब्लॉग या किसी और प्लेटफार्म पर भी शेयर कर सकते हैं, लेकिन पुलियाबाज़ी पर प्रकाशित लेख के लिंक के साथ। (“Originally published at”)
७. अगर आपका लेख कहीं और पहले प्रकाशित हुआ है और आप उसे भेजना चाहते हैं, तो मूल लेख का लिंक जोड़ें।
To Submit:
Send email to puliyabaazi@gmail.com with “Submission:<Title>” in the subject line. Also add your short bio, contact details and substack or other social media handles.
Review Process:
हम आपके लेख की समीक्षा करेंगे और आपको 2 हफ़्ते के भीतर निर्णय के बारे में बताएँगे। अगर आपका लेख स्वीकार कर लिया जाता है, तो हम स्पष्टता और शैली के लिए इसे एडिट कर सकते हैं। अगर हमें किसी और जानकारी या स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी तो हम आपसे संपर्क करेंगे।
An honorarium of Rs. 2500 will be awarded to accepted articles.
पुलियाबाज़ी स्टाइल गाइड:
कृपया अपने लेख इस ‘पुलियाबाज़ी स्टाइल’ में लिखकर भेजें।
पुलियाबाज़ी के ज़रिये हमारी कोशिश ये है कि नये विचारों को और लोगों तक पहुँचाया जाए। पुलियाबाज़ी का नज़रिया “हिंदी पहले” या “हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है” का नहीं है। ये हिंदी में इसलिए है क्योंकि भारत का एक बड़ा हिस्सा हिंदी ज़्यादा सहजता से पढ़ पाता है, और अक्सर अंग्रेज़ी चर्चाओं से अपने आप को कटा हुआ महसूस करता है। इसमें हर उम्र और हर तबके के लोग शामिल हैं।
इस कोशिश में एक दिक्कत ये आती है कि आज के ज़माने की खासी टेक्निकल वोकैब्युलरी इंग्लिश में है, जिनके लिए हिंदी में शब्द तो हैं पर काफ़ी अटपटे से महसूस होते है। खुद हिंदी भाषी लोग भी इन के लिए अंग्रेज़ी शब्द ही इस्तेमाल करते हैं। पुलियाबाज़ी का नज़रिया ये है कि भाषा की सहजता और समझने में आसानी पे भार दिया जाये ना कि भाषा की शुद्धता पर।
१. हम स्पष्ट, आसान और आम बोलचाल की भाषा का इस्तेमाल करते हैं।
२. हम अटपटे हिंदी शब्दों के बजाय प्रचलित इंग्लिश टर्म्स का उपयोग करते हैं। उदाहरण के तौर पे – “मुद्रास्फीति” के बजाय “inflation” या अगर वाक्य में फिट बैठे तो “महँगाई” का इस्तमाल कर सकते हैं।
३. इसका मतलब ये नहीं कि हम कहीं भी मुश्किल हिंदी शब्दों का उपयोग नहीं करते। लेख और विषय के मुताबिक अगर एक सटीक बात बताने के लिए कोई शब्द ज़रूरी लगे तो उसका इस्तमाल बिलकुल किया जाएगा।
४. पढ़ने की आसानी बरक़रार रखने के लिए “ऐ.आई” के बजाय “AI” का इस्तमाल होगा। सरकारी संस्थाओं के मुश्किल हिंदी नामों के बजाय पॉपुलर इंग्लिश नाम का इस्तेमाल करेंगे। जब किसी इंसान या जगह या कंपनी का नाम हिंदी में लिखने से उसे समझना मुश्किल हो जाये तो फिर उसे रोमन स्क्रिप्ट में ही लिखते हैं। जैसे “ज्याँ द्रेज” लिखने से समझ नहीं आता कि “Jean Drèze” की बात हो रही है, ना ही पढ़ने वाला आसानी से उसे गूगल कर सकता है। इसमें Consistency से ज़्यादा ज़रूरी Readability है। आंकड़ों को रोमन में ही लिखेंगे।
५. अब किसी शब्द के लिए अंग्रेज़ी शब्द इस्तेमाल करना या नहीं करना लेख के “ओवरऑल फ़ील” पर भी निर्भर करता है। अगर लेख मुश्किल हो तो कुछ आसान शब्दों और वाक्यरचना से हम उसे आसान बनाने की कोशिश करते हैं। जैसे कि “वैश्विक” और “ग्लोबल” दोनों को वाक्य के भारीपन के हिसाब से चुन सकते हैं। कई हिंदी पाठकों को ये पसंद नहीं भी आ सकता। लेकिन हमें लगता है भाषा को बहुत भारी बनाने के बजाय सहज बनाने से ज़्यादा लोग लेख का मज़ा ले पाएँगे।
६. इन सब बातों का मतलब ये नहीं है कि हम हिंदी के पाठकों को कम आँकते हैं। हमारे विषय और हमारे लेख हम dumb down नहीं करते, और कोई भी लेख को एक हद्द से ज़्यादा आसान नहीं किया जा सकता, ख़ास कर अगर विषय इकोनॉमिक्स जैसा हो तब। कुछ मेहनत की अपेक्षा हम पढ़ने वालों से भी रखते हैं।
अंत में, हर भाषा को समय के साथ बदलना पड़ता है। अगर शुद्धता पे बहुत ज़्यादा ध्यान दिया जाए तो भाषा के जड़ हो जाने का डर रहता है। हिंदी या हिंदुस्तानी भी समय के साथ बदल ही रही है। हम आज की हिंदुस्तानी में लिखने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि इसका कोई एक स्वरुप नहीं है, हर लेखक अपने हिसाब से उसे ढ़ाल सकता है, और हर पाठक अपने हिसाब से उससे इंटरैक्ट करेगा। ज़रूरी बात ये है की भाषा विचारों और भावनाओं की लेन देन का ज़रिया है। पुलियाबाज़ी के ज़रिये अगर हम इस लेन-देन को मुमकिन कर पाएँ तो हम हमारी इस कोशिश को सफल मानेंगे।
कृपया ध्यान दें:
अपना लेख सबमिट करके, आप हमें पुलियाबाज़ी वेबसाइट और अन्य सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर आपके लेख को प्रकाशित और वितरित करने का अधिकार देते हैं।
शुक्रिया,
पुलियाबाज़ी टीम