अंतरिक्ष खोजने की चाह हज़ारों साल पुरानी है। लेकिन अंतरिक्ष तक पहुंचने की क्षमता केवल सत्तर साल पुरानी है। और भारत उन चुनिंदा देशों में से है जिसने इस खोज में कई झंडे गाढ़े है। तो इस बार पुलियाबाज़ी में हमने भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम पर खुलकर चर्चा की पवन श्रीनाथ से, जो इस विषय पर काफ़ी सालों से शोधकार्य कर रहे हैं। पवन तक्षशिला संस्थान में फेलो है और थले-हरटे (कन्नड) और प्रगति (अंग्रेज़ी) पॉडकास्ट के होस्ट है। हमने इन सवालों पर बातें की इस एपिसोड में: 1. एक ग़रीब देश के अंतरिक्ष प्रोग्राम को स्थापित करने की सोच कहाँ से शुरू हुई? 2. किस तरह यह प्रोग्राम दिल्ली से दूर कई राज्यों में वितरित रहा। 3. उपग्रह और लॉन्च वेहिकल - इन दोनों घटकों पर इसरो का प्रदर्शन कैसा रहा है ? 4. SpaceX जैसी निजी संस्थाओं ने इसरो के सामने क्या चुनौतियाँ रखी हैं?
सुनिए और बताइये कैसा लगा आपको @puliyabaazi या फिर puliyabaazi@gmail.comपर।
In this episode of Puliyabaazi we take a close look at India's space programme with Pavan Srinath, fellow and faculty at the Takshashila Institution and a host of Thale-Harate and Pragati podcasts.
We discussed the impact that space research has for an aspirational society and why the argument 'poor nations shouldn't spend on luxuries like space exploration’ makes little logical sense. We then move on to discuss the beginnings of India's tryst with space. Pavan then takes us through the two components of the space programme - satellites and launch vehicles. Do let us know in puliyabaazi@gmail.com if you have any thoughts to share.
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