मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी माना जाता है। हर स्तम्भ का अपना विशेष कार्य होता है और कुछ विशेष ज़िम्मेदारियाँ भी। इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं अगर एक स्तम्भ से दूसरे स्तम्भ के चलन पर प्रभाव पड़े पर वो प्रभाव अगर सही चलन में बाधा बन जाए, तो चिंताजनक बात हो सकती है।
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क्या सरकारी नीतियों ने मीडिया को विज्ञापन पर…
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मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ भी माना जाता है। हर स्तम्भ का अपना विशेष कार्य होता है और कुछ विशेष ज़िम्मेदारियाँ भी। इसमें कुछ आश्चर्य की बात नहीं अगर एक स्तम्भ से दूसरे स्तम्भ के चलन पर प्रभाव पड़े पर वो प्रभाव अगर सही चलन में बाधा बन जाए, तो चिंताजनक बात हो सकती है।