एक आम धारणा है कि हम भारतीय आम तौर पर बहुभाषी होते हैं। ये धारणा इतनी प्रचलित है कि हम इसे भारतीयता का एक अभिन्न हिस्सा मान लेते हैं। मैं भी यही मानता था। यह भ्रम आख़िर भाषाविद् पेगी मोहन ने तोड़ा जब हमने उनके साथ एक शानदार अंक रेकॉर्ड किया। उस अंक में उन्होंने एक नयी संकल्पना से परिचय करवाया - Diglossia।
भारतीय भाषाओँ में हमारे अतीत के सुराग़. Clues to our past in Indian languages.
In this episode, linguist Peggy Mohan joins Saurabh and Pranay to discuss clues to our past in our languages. We discuss diglossia, bilingualism, creolization, the Hindi-Urdu debate, and more. Peggy’s new book Wanderers, Kings, Merchants: The Story of India through its Languages
बहुभाषी वह कहलाता है जो हर तरह का संवाद एक से ज़्यादा भाषा में कर सके। जबकि diglossia उस अवस्था को कहते हैं जब एक भाषा का प्रयोग सिर्फ़ एक ख़ास संदर्भ तक सीमित रह जाता है। मसलन, जब हम घर-घरौंदे से जुड़े संवाद करते है तो अक़्सर हमारी मातृभाषा का प्रयोग करते हैं, जबकि हमारे व्यवसायी संवाद केवल अंग्रेज़ी में ही होते हैं। इन दोनों भाषाओं का परस्पर निवास तो है पर परस्पर प्रयोग नहीं। हम अंग्रेज़ी घरेलू क्षेत्र में नहीं ला पाते, और ना ही अपनी मातृभाषा या राज्यभाषा को एक औपचारिक संदर्भ में। ऐसे समाज को बहुभाषी नहीं, diglossic कहना सटीक होगा। इस फ़र्क़ पर विचार कीजिए; आप पायेंगे कि हम सब सतही तौर पर भाषाएँ तो बेशक कईं जानते है पर संभवत: हम सभी diglossia के शिकार हैं।
ये ख़्याल इस अनुभव से आया कि कुछ मेहमान पुलियाबाज़ी पर आने से हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें diglossia हरा देता है। वे पुलियबाज़ी पर आना तो चाहते हैं पर उनकी सुई इस बात पर अटक जाती है कि मैं एक तकनीकी संकल्पना (मसलन Neuromorphic Engineering या Structural Geopolitical Rivalry) का अनुवाद हिन्दी में नहीं कर पाऊँगा।
इस समस्या का समाधान हम दो-तीन तरीक़ों से करते हैं। पहले तो हम मेहमान को आश्वस्त करते हैं कि भाषा की शुद्धता में ना तो हम विश्वास करते हैं और ना हीं वो हमारा उद्देश्य है। हम तो ख़ुद ही नौसिखिएँ हैं जी!
दूसरा, हम उन्हें समझाते हैं कि किसी संकल्पना का सटीक हिन्दी अनुवाद ढूँढना एक व्यर्थ कर्म है। ज़्यादा ज़रूरी ये है कि आप उस संकल्पना की परिभाषा सरल हिन्दी में दे पाए। और मेज़बान होने के नाते हम कोशिश करते हैं कि उस परिभाषा को हिन्दी मुहावरों, लोकोक्तियों, और pop culture के ज़रिए श्रोता के लिए सजीव किया जाए।
एक-दो बार यह भी हुआ है कि संवाद के दौरान किसी नए शब्द का ईजाद हो जाता है। जैसे कि ‘पुलियाबाज़ी’ आप किसी शब्दकोश में नहीं पायेंगे। ये शब्द सौरभ के दिमाग़ की उपज है। ऐसा करते वक़्त कोशिश ये रहती है कि अनुवाद इतना क्लिष्ट ना हो कि वह लोगों को डरा दे। मसलन, आप देख सकते हैं कि मैं diglossia का सरल, स्पष्ट अनुवाद नहीं ढूँढ पाया, इसलिए मैं उसे हिन्दी में समझाकर अंग्रेज़ी शब्द का ही उपयोग कर रहा हूँ।
पेगी मोहन ये भी कहती है कि diglossia से उभरने का एक ही ज़रिया है - ख़ुद को उन असुविधाजनक स्थिति में डाले जिससे आप अपनी भाषा में व्यक्त किए विचारों के क्षेत्र का विस्तार कर पाए। देखा जाए तो पुलियाबाज़ी का भी ठीक यही मक़सद है। Diglossia से बहुभाषी की यात्रा इसी मुश्किल रास्ते से गुज़रती है।
जाते-जाते, पुलियाबाज़ी के भाषा से जुड़े ये अंक साझा किए देता हूँ। वैसे diglossia का कोई अच्छा अनुवाद सोचकर कमेंट्स में ज़रूर बताइयेगा।
हिंदी-उर्दू : इतिहास और राजनीतिकरण. Hindi Urdu Unity.
This Puliyabaazi is a deep dive on the Hindi language - the origins, relationship with Urdu and Sanskrit, and about concerns over its imposition. We are joined by Abhishek Avtans (@avtansa), a linguist and lecturer of Hindi at Leiden University. Abhishek also gives a fascinating account of the politics of language in India.
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Most Indian languages share the same phonetic structure and yet have vastly different scripts, making communication across languages difficult. Moreover, each script has its own peculiarities steepening the learning curve for adults and children alike. To tackle this challenge, a team at IIT Madras designed a novel and technology-friendly Indic script —…